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चिकित्सा के साथ ही संगीत जगत को भी सुशोभित कर रहे हैं मनीष सिन्हा बहुमुखी प्रतिभा के धनी डा.मनीष सिन्हा ने चिकित्सा के साथ ही संगीत के क्षेत्र में भी अपनी विशिष्ट पहचान बनायी है। उन्होंने अबतक के करियर के दौरान कई चुनौतियों का सामना किया और कामयाबी का परचम लहराया। बिहार की राजधानी पटना में जन्में मनीष सिन्हा के पिता वीरेन्द्र कुमार सिन्हा और मां श्रीमती माधुरी सिन्हा ने पुत्र को अपनी
राह चुनने की आजादी दे रखी थी। बचपन के दिनों से ही मनीष सिन्हा की रूचि संगीत की ओर थी। मनीष सिन्हा को संगीत की प्रारभिक शिक्षा अपनी मां और प्रोफेसर श्रीमती माधुरी सिन्हा से मिली। माधुरी सिन्हा पार्श्वगायन किया करती थी। मनीष सिन्हा स्कूल और कॉलेज में होने वाले
सांस्क़तिक कार्यक्रमों में पार्श्वगायन किया करते और इसके लिये उन्हें काफी सराहना मिला करती।

मनीष सिन्हा ने मैट्रिक तक की पढ़ाई राजधानी पटना के पाटलिपुत्रा हाई स्कूल से की। इसके बाद उन्होंने नालंदा मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस और पटना मेडिकल कॉलेज से एमएस की पढ़ाई की। इसके बाद मनीष सिन्हा आंखो में बड़े सपने लिये मायानगरी मुंबई आ गये जहां उन्होंने एक निजी कंपनी में एक वर्ष तक काम किया। इस दौरान उनकी मुलाकात महान संगीतकार नौशाद साहब से हुयी जिन्होंने उनकी संगीत के प्रति उनकी प्रतिभा को पहचाना और इस राह पर चलने के लिये प्रेरित किया। मनीष सिन्हा ने उस्ताद मकबूल हुसैन खान और श्री कुलदीप सिंह से शास्त्रीय संगीत की शिचा हासिल की।  मनीष सिन्हा ने टीसीरीज के लिये शिवगीता ,हनुमान चालीसा ,जलते हैं जिसके
लिये ,दीया इश्क है ,तुझे देखने के बाद ,नशा प्यार का समेत कई अलबमों के लिये आवाज दी। मनीष सिन्हा ने वर्ल्ड वाइड रिकार्ड के लिये लव फारएवर , गुजारिश के लिये भी पार्श्वगायन किया जिसके लिये उन्हें काफी सराहना मिली। मनीष सिन्हा को उनके करियर में मान-सम्मान भी  खूब मिला। उन्हें वर्ष 2013 में इंडियन मेडिकल ऐशोसियेशन की ओर से प्रतिभा अवार्ड महाराष्ट्र सम्मान से नवाजा गया। इसके अलावा वह वर्ष 2017 में स्पेशल एचीवर अवार्ड आर्टस्ट डॉक्टर पुरस्कार से भी सम्मानित किये गये। मनीष सिन्हा ने न सिर्फ भारत बल्कि देश-विदेश भी अपनी जादुई आवाज से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया है। मनीष सिन्हा ने गजल गायिकी को नया आयाम दिया और वह अबतक यूएसए,यूके ,कनाडा ,सिंगापुर और काठमांडू समेत कई देशो में परफार्म कर चुके हैं।मनीष सिन्हा आज कामयाबी की बुलंदियों पर है। वह अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता ,गुरू और अपने शुभचितंकों को देते हैं।

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