शहर वही…जहां बचपन खेला, जिंदगी की तालिम भी यहीं मिली…अंतर्मुखी झेंपने वाले, आदर्शवादी और संकोची स्वभाव वाले होने की वजह से संगठऩ में अहम किरदार को वर्ष 1992 से निभाते आ रहे हैं, इसी स्वभाव के कारण वे अपने विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त करते हुए समाज को एक सूत्र में पिरोने का काम लगातार करने वाले व्यक्तित्व है सुजीत कुमार वर्मा।
समाज सेवा का भूत कुछ इस कद्र है कि पति-पत्नी दोनों लायंस क्लब के द्वारा बहुत दिनों से असहाय, निर्धन ,जरूरतमंद लोगों की निस्वार्थ सेवा करते रहते हैं ।
पटना के गर्दनीबाग की गलियों में बचपन बीता, जवानी के दौर में युवाओं के साथ मिलकर होली मिलन से लेकर किसी भी आयोजन में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया सुजीत कुमार वर्मा ने। कुछ दिन गुजरे की ओरियंटल में डेवलपमेंट ऑफिसर बन गए। इसमें ज्वाईन करने के कुछ वर्षों के बाद ही इसके एसोसिएशन से जुड़कर इतनी लड़ाई लड़ी की कई सुविधाएं विभाग के कर्मचारियों के हित में करवाने में सफल रहे। आज की तारीख में प्रबंधक की भूमिका है। अपने व्यस्त जिंदगी में से वक्त निकालकर अखिल भारतीय कायस्थ महासभा की जिम्मेवारी इन्हें सौंपी गई।
एक तरफ नौकरी का प्रेशर तो दूसरी तरफ संगठन का काम वो भी एक नहीं दो-दो। एक अपने विभागीय संगठन की जिम्मेवारी तो दूसरी तरफ वर्ष 2008 में कायस्थ महासभा की पूरी जिम्मेवारी को निभाते हुए 10 साल से ज्यादा गुजर गए। सबसे बड़ी बात तो ये है कि इनके इस नेक काम में इनकी धर्मपत्नी कुसुम लता वर्मा भी साथ-साथ चलती हैं और समाज को संगठित करने में सहयोगी की भूमिका निभाती हैं।
सांसद आर.के.सिन्हा को मानते हैं अपना आदर्श
सांस्कृतिक विरासत के प्रति गंभीर और लोगों के प्रति सेवा भावना की वजह से राज्य सभा सांसद आर.के.सिन्हा के बहुत करीब आए और श्री सिन्हा ने इन्हें संगत-पंगत की जिम्मेवारी सौपी जो बाखूबी निभा रहे हैं। इतना ही नहीं अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रविंदनंदन सहाय के भी काफी करीबी या यों कहें की पारिवारिक रुप में सांसद आर.के.सिन्हा और अभाकाम के ऱाष्ट्रीय अध्यक्ष रवि नंदन सहाय़ के साथ जुड़े हुए हैं।
समाज के लिए लगातार काम करते हैं सुजीत
युवा वर्ग को किसी प्रकार की कोई बात करनी हो या फिर बुजुर्गों को कोई आदेश देना हो, उसे सहर्ष मुस्कुराते हुए स्वीकार करते हुए सुजीत कुमार वर्मा अपने कार्य को निष्पादित करने में विश्वास करते हैं। इनके ईमानदारी से किए जा रहे कार्यों पर भी तथाकथित लोगों को परेशानी होती है मगर श्री वर्मा से पूछे जाने पर कहते हैं परिवार है तो थोड़ी उंच नीच तो होगी ही, इसे दरकिनार कर कभी अपनों पर तोहमत नहीं लगानी चाहिए।
जॉब के साथ समाजसेवा को अपनाया
अक्सर ये आवाज उठती है कि सुजीत कुमार वर्मा की कार्यशैली समाजसेवा के साथ आगे बढ़ते हुए राजनीतिक विरासत में भी तब्दील होनी चाहिए। मगर इनका कथन इन सबसे इतर होता है कि हम एक नौकरी पेशा वाले हैं, हां ये बात जरुर है कि अभिभावकगण जो भी जिम्मेवारी सौंपेंगे उसे दिल से पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ूंगा। क्योंकि मैं अभाकाम का एक अंग हूं समाज को जो न्यायोचित कदम लगेगा, जो दायित्व दिया जाएगा उसे ईमानदारी से निभाने की पूरी कोशिश करुंगा।
बावजूद इसके बिना किसी सिकन के लगातार काम करते रहते हैं। व्यक्ति की जिस क्षेत्र में रूचि होती है, वह उसी में सफलता पा सकता है और सफलता के अनुपात में ही व्यक्तित्व का विकास होता है। अधिक मानसिक योग्यता वाला बालक सहज ही अपने व्यवहारों को समाज के आदर्शों के अनुकूल बन जाता है और उसके एक बड़े उदाहरण हैं सुजीत कुमार वर्मा।
लेख में जानकारी सुजीत वर्मा जी के द्वारा ही दी गयी वेबसाइट से ली गयी है